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फ़िल्म तेरे बिन लादेन: डैड और अलाईव, बिखरती कहानी ही नजर आई. (स्टार 2)













                            पहली फ़िल्म का प्रदर्शन अच्छा होता है, तो उसके सिक्वल से अपेक्षाए बदनी स्वाभाविक है| अभिषेक शर्मा ने 2000 में फ़िल्म तेरे बिन लादेन से उनकी काबिलियत तो समज में आई ही साथ ही इस फ़िल्म के एक्टर अली जफर को बॉलीवुड में एक अभिनेता के रुप में भी शामिल कर दिया|  अब 2016 में सिक्वल फ़िल्म तेरे बिन लादेन: डैड और अलाईव, से अपेक्षा और बाद गई, लगा इस बार और हँसी, मजाक और मनोरंजन से परीपूर्ण फ़िल्म होंगी| पर अफसोस के साथ कहना पड़ता है , इस बार निराश कर दिया|
                    ओसामा बिन लादेन को अमेरिकी ने मार गिराया है, पर इस बात के पुक्ता साबित नही है, अमेरिकी  प्रेसिडेंट के पास इस बात के सबूत नही है की लादेन मारा गया है| उन्हें इसका वीडियो सबूत चाहिए|  यहा बॉलीवुड में एक कलाकार है जो ओसामा जैसा दिखता है| इस बात की ख़बर जब सीआईआई एजेंट को पता चलती है,                                                                     सीआईआई एजेंट ओसामा जैसे दिख रहे पद्दी सिंह (प्रद्दुम्र सिंह) के साथ एक फ़िल्म शूट करने का प्लान करते है, वह चाहते है की प्रेसिडेंट के पास सबूत हो जयेंगा अमेरिकी ने ओसामा को मार गिराया है| इस फ़िल्म के लिए निर्देशक शर्मा ( मनीष पोल) का चुनाव किया जाता है| शर्मा भी बड़े खुश होते है उनकी पहली फ़िल्म का सड़ा क्रेडिट अली ले जाता है| इस बात से वह काफ़ी निराश भी हुए| अब उन्हें लगता है की हॉलीवुड के साथ ब्रेक मिला है, अब वह हॉलीवुड निर्देशक बन गए है| कुछ हँसी मजाक के द्रुश्य के साथ फ़िल्म क्लाईमैक्स  तक पहुँच जाती है|
                   मनीष पोल ने फ़िल्म मिक्की वायरस में भी कोशिश की थी की वह एक्टर बन जाएँ, और एक बार फिर उन्होंने कोशिश की पर इस बार भी मनीष ने निराश ही किया, यह मनीष का दोष है या उनके चुनाव का, यह तो वही जाने| इस बार अभिषेक शर्मा ने भी कई ग़ल्तियाँ की है, फ़िल्म की कहानी ही समज के बाहर है या यु कहे की कहानी है भी या नही| पद्दुम सिंह ने अपने किरदार का साथ निभाया है, वही पीयूष मिश्रा अपने किरदार के साथ उतना सटीक नही कर पाए जब की उनकी अभिनय और गायिकी में कोई शक़ नही कर सकते| फ़िल्म का संगीत भी कोई असर नही दल पाया है, और अली जफर तो मेहमान बन आए और चले भी गए|
 
पुष्कर ओझा